यूं तो अपने प्रेम को जताने के लिए कोई भी एक दिन या समय निश्चित नहीं किया जा सकता लेकिन फिर भी प्रेम करने वालों के लिए आज का यह दिन ख़ास अहमियत रखता है. आइए जानते हैं कि वेलेंटाइन डे क्यों मनाया जाता है?
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वेलेंटाइन डे कब मनाया जाता है?
वेलेंटाइन डे की शुरुआत यूरोपीय देशों से हुई थी लेकिन आज ये दिन दुनियाभर में सभी लोगों के द्वारा प्रेम दिवस के रूप में मनाया जाता है.
वेलेंटाइन डे हर साल 14 फ़रवरी को मनाया जाता है. इस दिन सभी लोग ख़ासकर नवयुवक और युवती एक दूसरे से एक दूसरे के प्रति अपनी भावनाओं का इज़हार करते हैं.
वेलेंटाइन डे का नाम रोम के संत वेलेंटाइन के नाम पर रखा गया है और उन्हीं की याद में यह दिन मनाया जाता है.
वेलेंटाइन डे किसके साथ मनाते हैं?
पहले तो यह दिन सिर्फ़ अपने प्रेमी या प्रेमिका के साथ ही मनाया जाता था लेकिन आज के समय में यह दिन केवल lovers तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि, आजकल तो लोग इसे अपने दोस्तों और परिवार के सभी सदस्यों के साथ भी मनाते हैं क्योंकि यह दिन है सिर्फ़ प्यार बांटने का, एक दूसरे को सम्मान देने का और एक दूसरे के जज़्बातों को जानने व समझने का.
और यह गलत भी नहीं है क्योंकि प्रेम तो परिवार से, माता-पिता से, भाई-बहन, मित्रों से, अपने देश, अपनी जन्मभूमि से, मानवता से, प्रकृति से, कला से या ईश्वर से किसी से भी हो सकता है. वेलेंटाइन डे सिर्फ़ प्रेमी जोड़े के लिए नहीं, बल्कि परिवार से प्यार दिखाने का भी दिन है.
यह दिन है अपने साथी के प्रति प्रेम, स्नेह और करुणा दिखाने का इसलिए, आप इसे किसी के भी साथ मना सकते हैं. जैसे- अपने lifepartner के साथ प्यार को मजबूत करने के लिए, lovers के साथ अपने रिश्ते को अटूट करने के लिए, friends के साथ दोस्ती बढ़ाने के लिए और अपनी family के साथ रिश्तों की डोर को और भी ज्यादा मजबूत बनाने के लिए.
वेलेंटाइन डे क्यों मनाया जाता है?
वेलेंटाइन डे, यानि प्रेम और प्रेम करने वालों को समर्पित प्रेम से भरा हुआ यह दिन ख़ुशियों का प्रतीक माना जाता है इसलिए लोग अपने प्रेम का इज़हार करने के लिए आज का ही दिन चुनते हैं और आज के दिन का बेसब्री से इंतज़ार भी करते हैं.
वेलेंटाइन डे मनाने के पीछे एक बहुत पुरानी कहानी प्रचलित है. इस कहानी के अनुसार, रोम में तीसरी सदी में एक राजा था क्लाउडियस जिसने अपने सभी सैनिकों की शादी पर इसलिए रोक लगा दी थी क्योंकि उसका ये मानना था कि एक शादीशुदा सैनिक युद्ध में जीत हासिल नहीं कर सकता.
लेकिन रोम के ही एक संत वेलेंटाइन ने कई सैनकों की चुपके-चुपके शादी करवा दी. इस बात से राजा बहुत नाराज़ हुआ और उसने संत वेलेंटाइन को 14 फ़रवरी के दिन फांसी पर चढ़ा दिया. तभी से आज तक उनकी याद में वेलेंटाइन डे मनाया जाता है.
राधा कृष्ण की प्रेम कहानी
जहां पर प्रेम का ज़िक्र हो वहां पर राधा-कृष्ण का नाम न आए, ऐसा तो संभव ही नहीं है. हिंदू धर्म में राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी को सबसे उच्च, सबसे श्रेष्ठ और सबसे आदर्श प्रेम कथा माना जाता है.
Note: वेलेंटाइन डे के इस पोस्ट में यहाँ पर राधा-कृष्ण के प्रेम का ज़िक्र इसलिए किया गया है क्योंकि, इन दोनों का प्रेम समाज को यह सिखाता है कि प्रेम का अर्थ सिर्फ़ पाना ही नहीं होता बल्कि प्रेम में त्याग और समर्पण भी करना पड़ता है.
कभी-कभी, एक दूसरे को खोकर भी प्रेम को पाया जा सकता है क्योंकि, यदि प्रेम है तो वो सदैव ही रहेगा. जो समय के साथ बदल जाए, वह प्रेम कैसा. यदि आपका प्रेम इन भावनाओं को समझता है तो वह प्रेम है, यदि नहीं, तो वह मात्र एक आकर्षण है.
इसलिए महज़ एक आकर्षण को प्रेम की परिभाषा ना दें. मौजूदा समय में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो महज़ शारीरिक आकर्षण को ही प्रेम का नाम दे देते हैं और कई बार तो इसे पाने के लिए उसी को दर्द दे जाते हैं जिससे वे प्रेम करने का दावा करते हैं.
हिंदी भाषा के सुप्रसिद्ध लेखक मुंशी प्रेमचंद जी लिखते हैं: ”वह प्रेम प्रेम नहीं है जो प्रत्याघात की शरण ले. प्रेम का आदि भी सहृदयता है और अंत भी सहृदयता”.
राधे-श्याम…. दो ऐसे शब्द, जो अटूट प्रेम का हिस्सा माने जाते हैं. जो कभी एक दूसरे के न हो सके लेकिन फिर भी हमेंशा एक दूसरे के ही रहे और आज भी एक दूसरे के साथ ही याद किए जाते हैं.
जब कभी भी प्रेम की मिसाल दी जाती है तो राधा-श्याम का नाम सबसे पहले लिया जाता है. इन दोनों के मिलन को जीवात्मा और परमात्मा का मिलन कहा जाता है. इन दोनों प्रेमियों के निःस्वार्थ प्रेम ने तो स्वयं प्रेम की पराकाष्ठा को भी पार कर लिया था.
राधा-कृष्ण के रिश्ते की सबसे बड़ी खूबसूरती ये थी कि राधा ने ज़िंदगी भर मरते दम तक अपने हृदय में कृष्ण के प्रेम की स्मृतियों को जीवित रखा.
कहा जाता है कि कृष्ण ने राधा से विवाह इसलिए नहीं किया क्योंकि वह समस्त मानव जाति को बेशर्त और आंतरिक प्रेम सिखाना चाहते थे. वह साबित करना चाहते थे कि प्रेम और विवाह दो अलग-अलग चीज़ें हैं. प्रेम एक निःस्वार्थ भावना है जबकि विवाह एक समझौता या अनुबंध है. विवाह एक बंधन है मगर प्रेम…., प्रेम स्वच्छंद है. प्रेम जितना सरल है उतना ही, कठिन भी.
प्रेम ही है जीवन का आधार
चाहे वो ‘रामायण’ के राम हों या ‘गीता’ के कृष्ण, ‘श्री गुरुग्रंथ साहिब’ के नानक जी हों या ‘क़ुरान शरीफ़‘ के हज़रत मोहम्मद साहब, ‘बाइबिल‘ के ईसा मसीह हों या ‘त्रिपिटक‘ के गौतम बुद्ध. सभी ग्रंथ प्रेम का ही पाठ पढ़ाते हैं और प्रेम को ही सर्वोपरि मानते हैं.
प्रेम तो जीवन का आधार है, एहसासों की पराकाष्ठा है जो श्रृष्टि के कण-कण में समाकर जीवन को और भी अधिक खूबसूरत बना देता है. प्रेम सौंधी मिट्टी की खुशबू जैसा है जो जीवन को महका देता है.
प्रेम एक शाश्वत सत्य है जो सदैव इस श्रृष्टि में मौजूद रहेगा. प्रेम करने वाले तो कहीं से भी या किसी के भी जीवन से प्रेम की प्रेरणा ले सकते हैं बशर्ते कि, प्रेम में कोई शर्त ना हो.
‘प्रेम अलौकिक, प्रेम सत्य है
प्रेम शर्तों से है परे,
प्रेम है मन से मन का मिलना
प्रेम तो सदैव समर्पण धरे
प्रेम नहीं है उलझन यारों, ना ही एक समस्या है
दूर होकर भी रूह से रूह को शाद करे
ये ऐसी मौन तपस्या है‘.
प्रेम दिवस के मौके पर सभी दोस्तों को प्रेम भरी शुभकामनाएं.
Happy Valentine’s Day to All Loving Friends.
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