यदि शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाए तो गठिया और आर्थोराइटिस की समस्या उत्पन्न हो सकती है और किडनी से संबंधित बीमारी का ख़तरा भी बना रहता है. अतः इन सभी समस्याओं से बचने के लिए यूरिक एसिड में व्यायाम, योग और प्राणायाम करना बहुत ज़रूरी है.
दरअसल, हमारे शरीर में यूरिक एसिड हमारे द्वारा लिए गये आहार से ही बनता है. अतिरिक्त यूरिक एसिड को किडनी के माध्यम से शरीर से बाहर फेंका जाता है लेकिन, यदि किसी कारण किडनी यूरिक एसिड को फ़िल्टर न कर सके तो यह शरीर के अलग-अलग जोड़ों में जमा होना शुरू हो जाता है.
यूरिक एसिड के बढ़ने से मरीज़ के जोड़ों में बहुत ही तेज़ दर्द होता है और सूजन आने लगती है. यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए व्यायाम और योग को अपने जीवन का हिस्सा बना लीजिए.
आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि यूरिक एसिड में कौन-कौन से व्यायाम और आसन करने चाहिए.
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यूरिक एसिड में करें व्यायाम
शरीर में यूरिक एसिड का निर्माण कमज़ोर मेटाबॉलिज्म की वजह से होता है. इसके बढ़ने के साथ-साथ शरीर में कई तरह की बीमारियां जन्म लेती हैं. व्यायाम और योग ऐसा उपाय है जो इन सभी समस्याओं से छुटकारा दिलाने में कारगर है.
नियमित व्यायाम करने से आपके शरीर से अतिरिक्त चर्बी कम होती है और शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है. शरीर का फैट कम होने से आपको मोटापे की समस्या नहीं होगी और न ही यूरिक एसिड की समस्या होगी.
इसलिए यूरिक एसिड को नियंत्रित करने के लिए व्यायाम ज़रूर करना चाहिए.
यूरिक एसिड में कौन सा योग करना चाहिए?
नियमित योग के अभ्यास से बढ़े हुए यूरिक एसिड का निदान संभव है. योग से शरीर में यूरिक एसिड के जमने की प्रक्रिया को तोड़ा जा सकता है और आसन करने से किडनी की कार्य क्षमता बेहतर होती है.
लेकिन योगासन करते समय यह ज़रूर ध्यान रखें कि कोई भी आसन जल्दी-जल्दी में न करें बल्कि सहजता से करें क्योंकि ज़ोर लगाकर की गई एक्टिविटी से आपके शरीर में मौजूद यूरिक एसिड में असंतुलन पैदा हो सकता है.
नीचे कुछ योगासन बताए गए हैं जिनकी मदद से यूरिक एसिड के लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है.
वृक्षासन (Vrikshasana)
वृक्षासन एक ऐसा आसन है जिसे करने से शरीर में जमा एक्स्ट्रा फैट बर्न होता है और हड्डियां अंदर से मजबूत बनती हैं. इस आसन को करने के लिए आपको सबसे पहले पेड़ की तरह सीधा खड़ा होना होगा. आपके शरीर का पूरा वजन आपके पैरों पर पड़ना चाहिए और दायां पैर मुड़ा हुआ होना चाहिए.
अब दाएं पैर के तलवे को घुटनों के ऊपर ले जाकर बाएं पैर से लगाइए और दोनों हाथों को प्रार्थना की मुद्रा में रखिए. अब दाएं पैर के तलवे से बाएं पैर के तलवे को ज़मीन की ओर दबाइए. सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को सिर के ऊपर ले जाइए. सिर को सीधा रखकर सामने की ओर देखिए. थोड़ी देर तक इसी स्थिति में बने रहिए.
उष्ट्रासन (Ustrasana)
इस आसन को करने से पीठ स्ट्रेच होती है, हिप्स, पीठ, बांह और जांघ मजबूत होती हैं और जांघों का अतिरिक्त फैट कम होता है. इसे करने के लिए ध्यान की मुद्रा में बैठें. सिर थोड़ा सा झुकाकर और पेट को उठाकर रखिए.
उष्ट्रासन मोटापे को दूर करने में सहायक है और फेफड़ों व किडनी को भी स्वस्थ बनाता है जिससे यूरिक एसिड कंट्रोल होता है.
कपोतासन (Kapotasana)
कपोतासन का अर्थ है कबूतर की मुद्रा में आसन करना. इस आसन को करने के लिए सबसे पहले वज्रासन की पोजिशन में बैठ जाएं. फिर घुटने के बल अपने शरीर को उठाएं. पैरों के बल खड़े न हों. अब अपने दोनों हाथों को कमर के नीचे की तरफ ज़मीन पर टिकाएं.
अपनी हथेलियों का सहारा लेकर धीरे-धीरे पीछे की तरफ़ मुड़ें और कमर को झुकाकर सिर को ज़मीन से टिकाने का प्रयास करें. अब अपने हाथों से पैरों की एडियों को पकड़ लें. कुछ देर तक इसी पोजिशन में रहें. इस आसन को करने से जांघों, एड़ियों और जोड़ों पर दबाव पड़ता है जिससे आपका शरीर लचीला और फैट फ्री बनता है.
ऊपर बताए गये आसनों के अतिरिक्त जो आसन आपको करने चाहिए वे हैं:
- 1.मार्जरी आसन
- 2.ताड़ासन
- 3.तिर्यक ताड़ासन
- 4.कटि चक्रासन
- 5.अर्ध चक्रासन
- 6.मंडूकासन
- 7.भुजंगासन
- 8.उत्तानपादासन
- 9. मर्कटासन
- 10.वक्रासन
इन सभी आसनों के साथ-साथ कपालभाती, अनुलोम-विलोम, सूक्ष्म आसन, भ्रामरी और सूर्य नमस्कार करना भी यूरिक एसिड में बहुत फायदेमंद रहता है.
यूरिक एसिड में योगासन करने के फायदे
- योग और आसन आपके वजन को कंट्रोल में रखता है.
- योग करने से जोड़ों का दर्द कम होता है और शरीर में लचीलापन बना रहता है.
- योग से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है जिस वजह से प्यूरीन आपके जोड़ों में एकत्र नहीं हो पाता और न ही दर्द का कारण बनता है.
- योग करने से आपका मन, मष्तिष्क शांत व चिंता रहित रहता है और आप मानसिक तनाव से भी मुक्त रहते हैं. जिसका सही प्रभाव आपके स्वास्थ्य पर पड़ता है और आप रोगमुक्त रहते हैं.