स्वतंत्रता दिवस कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है?

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स्वतंत्रता दिवस कब मनाया जाता है?

स्वतंत्रता दिवस अर्थात् आज़ादी का दिन. यह वह शुभ दिन होता है जब सभी देशवासी बड़े ही हर्सोल्लास के साथ अपनी आज़ादी का जश्न मनाते हैं.

स्वतंत्रता दिवस कब मनाया जाता है?

हर देश अपना स्वतंत्रता दिवस अलग-अलग दिन मनाता है. हमारा देश भारतवर्ष अपना स्वतंत्रता दिवस प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त को मनाता है. भारत में पहला स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 1947 को मनाया गया था.

इस दिन मध्यरात्रि में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारत को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया था. इस वर्ष 15 अगस्त 2021 को भारत अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है.

स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाया जाता है?

भारतवर्ष लगभग 200 वर्षों तक ब्रिटिश शासन के अधीन रहा. अपने देश को ब्रिटिश राज से स्वतंत्रता दिलाने के लिए न जाने कितने ही स्वतंत्रता सैनानियों और देशभक्तों ने अपनी कुर्बानी दे दी.

बहुत लंबी लड़ाई लड़ने के बाद हमारे देश में एक नए युग का प्रारंभ हुआ और 15 अगस्त सन 1947 के दिन भारत अंग्रेजों की गुलामी से आज़ाद हुआ और देश की बागडोर भारत के नेताओं को सौंप दी गई. तभी से स्वतंत्रता दिवस का यह दिन राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाने लगा.

स्वतंत्रता दिवस उन सभी वीर स्वतंत्रता सैनानियों को याद करने और सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने अपने देश को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया और भारत को आज़ादी दिलाई.

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स्वतंत्रता दिवस कैसे मनाया जाता है?

अलग-अलग देशों में स्वतंत्रता दिवस को अलग-अलग-अलग तरह से मनाया जाता है. भारत में  स्वतंत्रता दिवस का राष्ट्रीय पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है.

इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लालकिले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और संपूर्ण देश को संबोधित करते हैं. ध्वजारोहण के बाद राष्ट्रीयगान गाया जाता है.

स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले की शाम को भारत के राष्ट्रपति राष्ट्र को संबोधित करते हुए हर साल एक भाषण देते हैं. 15 अगस्त के दिन ध्वजारोहण के साथ-साथ परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है.

कई अन्य संस्थानों में भी स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

स्वतंत्रता दिवस कैसे मनाया जाता है?

क्या स्वतंत्र भारत में हम वाकई में आज़ाद हैं?

कविवर दुष्यंत जी द्वारा रचित यह पंक्तियां आज के परिवेश में बिल्कुल प्रासंगिक सिद्ध होती दिखाई देती हैं:

”सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मेरा मक्सद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में ही सही, हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए !”

कई सालों पहले हमारे देश ने अंग्रेजों की गुलामी से तो स्वतंत्रता पा ली लेकिन आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी यह सवाल बार-बार खड़ा हो उठता है कि क्या वाकई में हम आज़ाद हैं?

देश में बढ़ते भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, भुखमरी, कुपोषण, ग़रीबी, आतंकवाद और नक्सलवाद के कारण आज़ादी शब्द के मायने ख़त्म होते जा रहे हैं. निश्चित तौर पर भारत कई क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है किंतु यदि ज़मीनी हकीकत को देखा जाए तो पता चलता है कि यहां की आधी आबादी तो अपने लिए भर पेट भोजन जुटाने के भी काबिल नहीं है.

ग़रीब तबके को अगर दो वक्त की रोटी भी मिल जाए तो वह भी किसी बड़ी कामयाबी से कम नहीं है. आरक्षण की आढ़ में कई सारे अयोग्य युवा नौकरी पा रहे हैं जबकि पढ़े-लिखे नौजवानों की सच्ची काबिलियत कहीं नीचे दबकर रह जाती है.

आम जनता कभी आतंकवाद तो कभी नक्सलवाद से लड़ रही है. कहीं भ्रष्टाचार, अशिक्षा तो कहीं राजनेताओं की गंदी राजनीति का जाल बिछा हुआ है तो, कहीं महिलाएं समाज में अपने ही अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं.

सच बोलने वाले को यहां पर बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ती है और न्याय मांगने वाले को तो कभी-कभी अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है. कानून व्यवस्था इतनी लचर है कि अपराधियों का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती.

देश को चलाने वाले कुछ राजनेता सत्ता में आने के बाद सिर्फ़ अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हुए होते हैं. किसे फुर्सत है कि कोई आम जनता की समस्याओं को भी सुन ले.

सही मायने में तो हमें आज़ादी तब मिलेगी जब यहां पर वास्तव में सबको समान अधिकार मिलेगा, हर कार्य क्षेत्र में सबको बिना डरे सच बोलने का हक़ मिलेगा. जो काबिल हो उसी का शासन हो और देश की बागडोर पढ़े-लिखे और समझदार लोगों के हाथों में हो न कि, अनपढ़ चाटुकारों के हाथों में.

आज की परिस्थितियों को देखते हुए यह प्रश्न हमें सोचने पर मजबूर कर देता है कि हमारे स्वतंत्रता सैनानियों ने जिस भारत की आज़ादी के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण गवां दिए थे क्या, हमारा भारत आज भी वैसा ही है?

यदि आप विचार करें तो शायद आपको इसका जवाब ना में मिले. क्योंकि आज भारत में रहने और भारत में ही पलने-बढ़ने वाले कुछ क्षीण मानसिकता वाले लोग ही भारत को दोबारा से विभाजित करने की पुरज़ोर कोशिश में लगे हुए हैं. एक बार फिर से भारत के टुकड़े-टुकड़े कर देना ही ऐसे लोगों का मक्सद है.

खैर, किसी की क्षीण मानसिकता को बदलना तो इतना आसान नहीं है किंतु हमें ख़ुद ही ख़ुद को इतना काबिल और सशक्त बनाना होगा कि किसी के दुश्विचारों का प्रभाव हम पर न पड़ सके.

जब भारत का ध्वज ‘तिरंगा’ वास्तव में ही भारत का हित चाहने वाले और भारत का सम्मान करने वाले हाथों से ही लहराया जाएगा तब हम सभी देशवासी वाकई में आज़ाद कहलाएंगे.

सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

जय हिंद, जय भारत