शिशु को ठोस आहार खिलाते समय क्या सावधानियां रखनी चाहिए?

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6 माह तक का बच्चा केवल माँ के दूध पर ही निर्भर रहता है और कम से कम दो साल तक के बच्चे के लिए माँ का दूध बहुत ही जरूरी होता है. लेकिन 6 माह के बाद आप बच्चे को थोड़ा-थोड़ा ठोस आहार देना शुरू कर सकते हैं. साथ ही आपको पता होना चाहिए कि शिशु को ठोस आहार खिलाते समय क्या सावधानियां रखनी चाहिए?.

अच्छा भोजन ही अच्छे स्वास्थ्य का आधार होता है. इसलिए बच्चे के भोजन के प्रति विशेष सावधानी बरतना अत्यंत आवश्यक है. शुरूआती दौर में नीचे दी गई इन बातों का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी होता है.

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शिशु को ठोस आहार खिलाते समय क्या सावधानियां रखें?

शिशु को ठोस आहार खिलाते समय क्या सावधानियां रखें?
  1. बच्चे को उबला हुआ खाना और उबला हुआ पानी ही दें, कभी भी बच्चे को ठंडा खाना या ठंडा पानी पीने को ना दें.
  2. बच्चे का भोजन साफ़ व सुरक्षित जगह पर ही रखें.
  3. भोजन तैयार करते समय और भोजन खिलाते समय साफ़-सफाई का विशेष ध्यान रखें.
  4. शिशु आहार में इस्तेमाल में आने वाले फल व सब्जियों को अच्छी तरह से धोकर ही तैयार करें.
  5. जिस बर्तन में बच्चे के लिए भोजन बना रही हैं वह भी अच्छी तरह से साफ़ होना चाहिए.
  6. आप जो भी बच्चे को खाने को देती हैं उसे देने से पहले यह जरूर देख लें कि वह खाद्य पदार्थ कितना गर्म या कितना ठंडा है और साथ ही उसमें नमक या मीठे का स्वाद भी चख लें कि वो बच्चे के लिये अनुकूल है अथवा नहीं.
  7. सब्जियों को बहुत देर तक ना उबालें, इससे सब्जियों में उपस्थित जरूरी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं.
  8. बच्चे को एक समय में एक ही तरह का खाना दीजिए. अर्थात् जब आप उसे कुछ मीठा खिला रहे हैं तो उसके साथ-साथ कोई नमकीन या खट्टी चीज ना खिलाएं. एक साथ अलग-अलग तरह का भोजन खिलाने से बच्चे के पेट में गड़बड़ भी हो सकती है और हो सकता है कि सब कुछ एक साथ पचाने में बच्चे को कठिनाई हो.
  9. बच्चे को खिलाने के मामले में बिल्कुल भी जबरदस्ती ना करें, जिसे बच्चा खुश होकर खाता है बस वही आहार बच्चे को खाने को दें.
  10. 6 माह के बच्चे को टुकड़ों में कटा हुआ फल या सब्जी ना खिलाएं, ये बच्चे के गले में अटक सकते हैं, उसे जो भो खाने को दें पतली प्यूरी बनाकर ही दें.
  11. बच्चे को हमेंशा अच्छे व खुशनुमा माहौल में ही खाना खिलाएं.
  12. बच्चे का भोजन स्टील या कांच के बर्तन में ही तैयार करें. प्लास्टिक के बर्तन में ना तो किसी भी प्रकार का भोजन तैयार करें और ना ही प्लास्टिक के बर्तन में बच्चे को भोजन खिलाएं.
  13. कुछ पेरेंट्स अपने बच्चे की भूख मिटाने के लिए सिर्फ बिस्किट्स पर ही निर्भर रहते हैं, जो कि बिल्कुल गलत है. भूख लगने पर बच्चे को सिर्फ बिस्किट्स ना खिलाएं, इनमें मैदा व preservatives मिले हुए होते हैं जो कि बच्चों की आँतों को प्रभावित करते हैं. रोज बिस्किट्स खिलाने से बच्चे को उसी की आदत पड़ जायेगी और वह खाना खाने में आना कानी करने लगेगा.
  14. सब्जियाँ उबालने के बाद अच्छी तरह से मसलकर ही खिलाएं.
  15. बच्चे को बैठाकर आराम से भोजन खिलाएं, भोजन खिलाने में जल्दबाजी बिल्कुल भी ना करें.
  16. अगर किसी विशेष आहार से शिशु को एलर्जी, पेट दर्द या अन्य कोई शिकायत होती है तो उसे बच्चे को खिलाना बंद कर दें और डॉक्टर से सलाह लें.
  17. बच्चे को बहुत ज्यादा खिलाने पर ज़ोर ना दें, याद रखिए बच्चे धीर-धीर अपने आप ही खाना सीख जाता हैं.
  18. बच्चे को अपने सामने बिठाकर ही खाना खिलाएं और खिलाते वक्त उसे एक पल के लिए भी अकेला ना छोड़ें.
  19. बच्चे को जमीन पर बिठाकर खाना खिलाना सबसे सुरक्षित होता है.
  20. बच्चे को बाहर का कुछ भी ना खिलाएं, उसके लिए घर पर ही आहार तैयार करें. हो सके तो आप बच्चे के लिए सेरेलक भी घर पर ही तैयार कीजिये. क्योंकि घर पर बना हुआ सेरेलक किसी भी प्रकार के रसायन व preservatives से मुक्त होता है और यह बच्चे की सेहत के लिये बहुत ही फायदेमंद होता है.