भारत में प्राचीन समय से ही गुरु-शिष्य की परंपरा चलती आ रही है. जीवन में माता-पिता का स्थान कभी कोई नहीं ले सकता, कहा जाता है कि जीवन के सबसे पहले गुरु हमारे माता-पिता होते हैं. लेकिन जीने का असली सलीका हमें शिक्षक ही सिखाते हैं और सही मार्ग पर चलने के लिए सदैव प्रेरित करते हैं.
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शिक्षक दिवस कब है?
भारत में शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत सन 1962 से हुई थी. यूनेस्को ने वर्ष 1994 में 5 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस’ मनाने की घोषणा की थी लेकिन हमारे देश में शिक्षक दिवस प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर को मनाया जाता है. इस वर्ष 2021 में भी शिक्षक दिवस देश भर में 5 सितंबर को मनाया जाएगा.
शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?
भारत में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद में शिक्षक दिवस को मनाने की शुरुआत हुई थी. शिक्षक दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य था, समाज में सभी को शिक्षा व शिक्षक का महत्त्व बताना.
5 सितंबर को भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस आता है इसलिए उनकी जयंती को ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है.
राधाकृष्णन शिक्षा में बहुत विश्वास रखते थे. वह एक महान दार्शनिक और शिक्षाविद थे. उन्हें अध्यापन से गहरा प्रेम था. एक आदर्श शिक्षक के सभी गुण उनमें विद्यमान थे. शिक्षा के क्षेत्र में किए गए उनके अथक प्रयासों के कारण भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से भी नवाज़ा था.
शिक्षकों का समाज में सम्मान बढ़ाने और शिक्षकों का उनके काम के प्रति उत्साह बढ़ाने हेतु शिक्षक दिवस मनाया जाता है.
शिक्षक दिवस का महत्व
एक छात्र के जीवन में गुरु का विशेष महत्त्व होता है. गुरु कभी भी अपने शिष्य का बुरा नहीं सोच सकता इसीलिये सनातन धर्म में गुरु का स्थान ईश्वर से भी बड़ा माना गया है.
जिस प्रकार कुम्हार मिट्टी के बर्तन को मनचाहे आकार में ढालता है, लोहार लोहे को तपाकर उपयोगी वस्तु बनाता है और सुनार सोने को तपाकर सुंदर आभूषण बना देता है ठीक उसी प्रकार, गुरु भी अपने शिष्य का सही मार्गदर्शन करके उसे जीवन में सफ़ल बनाने में अहम् भूमिका निभाता है.
एक शिक्षक के बिना छात्र का जीवन अधूरा है. माता-पिता के बाद एक शिक्षक ही है जो अपने शिष्य को सही-गलत की समझ सिखाता है और सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है.
अतः छात्र के जीवन में शिक्षक के महत्व को याद करने के लिए ही शिक्षक दिवस मनाया जाता है. शिक्षक दिवस वह दिन होता है जब, शिक्षा के ज़रिये नई पीढ़ी को ज्ञान स्थानांतरित करने वालों का सम्मान किया जाता है.
शिक्षक अपना पूरा जीवन ज्ञान बांटने में लगा देता है और शिक्षकों के ऊपर ही पूरे देश का भविष्य निर्भर करता है. कहते हैं कि बच्चे देश का भविष्य होते हैं लेकिन, इन बच्चों का भविष्य निर्माण करने वाले शिक्षक ही होते हैं.
हमारे प्राचीन धर्मग्रंथों में भी गुरु के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए लिखा गया है:
‘गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः’।।
भावार्थ:
गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु ही शंकर है। गुरु ही साक्षात् परब्रह्म है, उन सद्गुरु को प्रणाम।
‘अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः’।।
भावार्थ:
उस महान गुरु को मेरा प्रणाम है, जिसने उस अवस्था का साक्षात्कार करना संभव किया जो पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त है, सभी जीवित और मृत में।
शिक्षक दिवस कैसे मनाया जाता है?
शिक्षक दिवस पूरे देश में बड़े ही हर्ष व सम्मान के साथ मानाया जाता है. इस मौके पर राष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार द्वारा श्रेष्ठ शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए उन्हें पुरस्कार भी प्रदान किया जाता है.
देश भर में सभी शिक्षण संस्थानों में शिक्षक एवं छात्रों के द्वारा मिलकर शिक्षक दिवस के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.
इस दिन विद्यालयों में छात्र-छात्राएं अपने शिक्षकों को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं देते है और उन्हें सम्मान देकर उनका मनोबल बढ़ाते हैं.
इस मौके पर विद्यालय में विद्यार्थी शिक्षक का किरदार निभाते हैं, अपने शिक्षक के अच्छे गुणों को सभी के साथ बांटते हैं और अपने शिक्षकों को गिफ्ट आदि भी देते हैं.
सभी शिक्षकगणों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.