प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण – 15 Early Pregnancy Symptoms

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प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण – 15 Early Pregnancy Symptoms

अक्सर शादी के बाद हर महिला यह जानने की इच्छा रखती है कि वह प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण को कैसे पहचानें ताकि सही समय पर महिला को अपनी प्रेगनेंसी का पता लग सके.

आम तौर पर प्रेगनेंसी कंसीव करने के एक या दो सप्ताह के बाद से ही महिला के शरीर में बदलाव आने शुरू हो जाते हैं और प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षण नज़र आने लगते हैं.

वे महिलाएं जो पहली बार मां बनने जा रही हैं, अज्ञानतावश इन लक्षणों को पहचान नहीं पाती हैं या फ़िर देखकर भी अनदेखा कर देती हैं.

ऐसी महिलाओं के लिए हमारा आज का यह आर्टिकल मददगार साबित हो सकता है इसलिए इस लेख को शुरुआत से लेकर अंत तक अवश्य पढ़ें.

विषय - सूची

ये हैं प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण – Pregnancy Ke Suruwati Lakshan

गर्भावस्था के प्रारंभिक संकेत - First Week Pregnancy Symptoms

प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण सभी महिलाओं में अलग-अलग हो सकते हैं. सभी गर्भवती महिलाओं में प्रेगनेंसी के सभी लक्षण कभी भी एक समान नहीं होते हैं.

इसके साथ ही एक ही महिला में भी प्रेगनेंसी के लक्षण हर बार एक जैसे नहीं होते हैं. आपकी पहली प्रेगनेंसी में जो लक्षण आपको दिखाई दिए हों ज़रूरी नहीं हैं कि वही लक्षण आपकी दूसरी प्रेगनेंसी में भी दिखाई दें. प्रेगनेंसी के लक्षणों में कभी भी similarity नहीं रहती है.

आइए आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे कि प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण कौन-कौन से होते हैं?.

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पीरियड्स मिस होना (Missed Periods)

प्रेगनेंसी का यह शुरुआती लक्षण उन महिलाओं में सबसे अधिक देखा जाता है जिनके पीरियड्स रेगुलर रहते हैं. यदि आपके पीरियड्स हमेंशा निश्चित समय पर ही आते हैं और कभी अचानक से आपके पीरियड्स रुक जाएं तो आप अपना प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकते हैं. बहुत अधिक संभावना रहती है कि आपका टेस्ट पॉज़िटिव ही आएगा.

इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग (Implantation Bleeding)

इसमें ब्लीडिंग आपके नॉर्मल पीरियड की अपेक्षा बहुत कम होती है और सिर्फ़ एक या दो दिन के लिए ही होती है. सामान्यतः यह ब्लीडिंग आपके पीरियड्स की एक्सपेक्टेड डेट के आस-पास ही होती है.

इसलिए कई बार महिला यह समझने में कन्फ्यूज़ हो जाती है कि यह नॉर्मल पीरियड्स की ब्लीडिंग है या प्रेगनेंसी का लक्षण है. इसलिए आप सतर्क रहें और इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के बाद अपना प्रेगनेंसी टेस्ट ज़रूर करें.

वेजाइनल डिस्चार्ज (Vaginal Discharge)

पहले की अपेक्षा अधिक वेजाइनल डिस्चार्ज होना भी आपकी प्रेगनेंसी का एक संकेत हो सकता है. यह डिस्चार्ज पहले की अपेक्षा अधिक गाढ़ा, सफ़ेद और चिपचिपा होता है. लेकिन यदि आपके वेजाइनल डिस्चार्ज में बदबू, जलन और खुजली महसूस हो रही है तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

उल्टी या मितली आना (Nausea and Vomiting)

प्रेगनेंसी की शुरुआत होते ही गर्भवती महिला को उल्टी या मितली आने की शिकायत होना प्रेगनेंसी का आम लक्षण है. कभी-कभी कुछ ऐसा खाने पर जो प्रेगनेंसी के दौरान अच्छा न लग रहा हो ऐसा भोजन करने पर भी महिला को उल्टी आ जाती है.

कुछ महिलाओं को यह समस्या प्रेगनेंसी के शुरूआती दो या तीन महीने तक ही होती है लेकिन कुछ महिलाओं को यह समस्या 4 से 5 महीने तक भी रह सकती है.

उल्टी या मितली आने की इस समस्या का सामना आपको दिन में किसी भी वक़्त करना पड़ सकता है. ऐसा ज़रूरी नहीं है कि आपको मॉर्निंग टाइम में ही वॉमिटिंग हो.

ब्रेस्ट हैवी होना (Breast Heaviness)

यह प्रेगनेंसी का सामान्य लक्षण है. गर्भ धारण करते ही महिला के शरीर में हार्मोनल चेंजेस होने लगते हैं और ब्रेस्ट के उत्तक हार्मोन्स के प्रति अति संवेदनशील होते हैं. इससे ब्रेस्ट में सूजन के साथ ही ब्रेस्ट हैवी लगने लगती है और कभी-कभी इनमें दर्द भी होता है.

निप्पल का रंग डार्क होना (Dark Nipples)

क्या आपने अपने निप्पल के रंग पर गौर किया है? प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले हार्मोनल चेंजेस की वजह से melanocytes प्रभावित होती है अर्थात् हार्मोनल बदलाव का असर आपके निप्पल की कोशिकाओं पर भी पड़ता है जिसकी वजह से आप देखेंगे कि आपके निप्पल का रंग डार्क यानि पहले से अधिक गहरा दिखाई देने लगा है. यह लक्षण भी आपकी प्रेगनेंसी का हो सकता है.

बार-बार टॉयलेट जाना (Frequent Urination)  

क्या आपने यह महसूस किया है कि आप पहले की तुलना में ज्यादा बार टॉयलेट जाने लगी हैं? यदि आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो हो सकता है कि आप प्रेगनेंट हों. प्रेगनेंसी में किडनी पहले से अधिक सक्रिय हो जाती है जिस वजह से आपको बार-बार टॉयलेट जाना पड़ता है.

इसका एक कारण यह भी है कि यूरिन की थैली आपके यूट्रस यानि गर्भाशय के बिल्कुल पास में होती है. यूट्रस में शिशु के विकास के साथ-साथ यह यूरिन ब्लैडर पर दबाव डालती है जिस वजह से आपको बार-बार टॉयलेट जाने की शिकायत रहती है.

किसी चीज़ के प्रति तीव्र इच्छा (Craving)

प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षण में अचानक से गर्भवती महिला का किसी विशेष चीज़ के प्रति आकर्षण बढ़ जाना भी शामिल है. यानि कोई विशेष भोजन या डिश खाने का बार-बार मन करता है और कई बार तो महिला की डेली डाइट भी अचानक से बढ़ जाती है.

कुछ महिलाओं का बार-बार खट्टा खाने का मन करता है तो कुछ महिलाओं का बार-बार मीठा खाने का भी मन करता है.

मूड़ स्विंग होना (Mood Swings)  

प्रेगनेंसी की शुरुआत में महिला को मूड़ स्विंग का भी सामना कई बार करना पड़ता है. हार्मोन परिवर्तन के कारण मूड़ भी बदलता रहता है. अक्सर ऐसा होता है कि किसी वक़्त महिला का मूड़ बहुत अच्छा होता है तो किसी वक़्त मूड़ ख़राब भी हो जाता है. कई बार तो छोटी-छोटी बात पर भी महिलाएं दुःखी होने लगती हैं.

कभी कोई चीज़ बहुत अच्छी लगती है तो कभी-कभी वही चीज़ बुरी लगने लगती है. इस प्रकार पल-पल मूड़ बदलने को मूड़ स्विंग कहा जाता है. जिसका सामना लगभग हर गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी की शुरुआत में करना पड़ता है.

कब्ज की शिकायत होना (Constipation)

प्रेगनेंसी के दौरान हार्मोन्स में बदलाव होने का असर पाचन क्रिया पर भी पड़ता है. पाचन क्रिया धीमी होने लगती है जिस कारण महिला को कब्ज की शिकायत होने लगती है.

शरीर का तापमान बढ़ना (Body Temperature Increase)

प्रेगनेंसी के शुरूआती दिनों में गर्भवती महिला के शरीर का तापमान किसी भी वक़्त बढ़ जाता है. इसलिए सर्दी के मौसम में प्रेगनेंट होने वाली महिलाओं को ठंड का एहसास बहुत अधिक नहीं होता है.

थकान, सिरदर्द और चक्कर आना (Tiredness, Headache and Easy Fatigue)

प्रेगनेंसी कंसीव करने के बाद महिला को अक्सर थकान, सिरदर्द और चक्कर आने जैसी समस्याएं होने लगती हैं. थोड़ा काम करते ही महिला का शरीर थक जाता है और बार-बार आराम करने की इच्छा होती है.

गर्भ में आपके शिशु के विकास के लिए ज्यादा शुगर की आवश्यकता होती है जो कि शिशु आपके ही शरीर से लेता है.

इसलिए प्रेगनेंसी की शुरुआत में आपके शरीर में शुगर का लेवल कम हो जाता है और बी.पी लो होने लगता है. इस वजह से आपको प्रेगनेंसी की शुरुआत में कई बार सिरदर्द का भी सामना करना पड़ सकता है.

पीठ दर्द होना (Backache)

प्रेगनेंसी की शुरुआत में गर्भवती महिला का वज़न बढ़ने लगता है और शारीरिक बदलाव होने लगते हैं. महिला का बढ़ता हुआ गर्भाशय पीठ की मांसपेशियों पर दबाव डालता है जिस कारण महिला को पीठ दर्द की शिकायत होने लगती है. यदि अचानक से आपको यह लक्षण महसूस हो तो यह आपकी प्रेगनेंसी का लक्षण हो सकता है.

भोजन में स्वाद न आना या उसमें से बदबू आना (Food Aversion)  

प्रेगनेंसी के दौरान कुछ महिलाओं को किसी ख़ास खाद्य पदार्थ में से बदबू आती है, कुछ भी खाने का मन नहीं करता. कुछ खाद्य पदार्थ की सुगंध से ही आपको वॉमिटिंग जैसा महसूस होने लगता है.

सांस लेने में दिक्कत होना (Shortness of Breath)

प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली मां के साथ-साथ उसके गर्भ में पल रहे शिशु को भी ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और यह ऑक्सीजन बच्चा अपनी मां के शरीर से ही खींचता है.

इसलिए प्रेगनेंसी की शुरुआत में गर्भवती महिला को कभी-कभी सांस लेने में दिक्कत हो सकती है यानि थोड़ा सा ज्यादा काम कर लेने पर या सीढ़ियां चढ़ने पर ही सांस फूलने लगती है.

प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण से सम्बंधित सवाल-जवाब

  1. गर्भ ठहरने के कितने दिन बाद उल्टी होती है?

    कुछ महिलाओं को गर्भ ठहरने के एक से दो महीने बाद उल्टियां होनी शुरू होती हैं तो कुछ महिलाओं में गर्भधारण करने के 10 से 15 दिन बाद से उल्टी की समस्या शुरू जोती है. महिला के शरीर में हार्मोनिक बदलाव के कारण उल्टी की समस्या उत्पन्न होती है.

  2. प्रेग्नेंट होने के कितने दिन बाद लक्षण दिखाई देते हैं?

    प्रेगनेंसी कंसीव करने के 6 से 14 दिन बाद प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षण दिखने लगते हैं.

  3. पीरियड के कितने दिन बाद बच्चा ठहरता है?

    आपके पीरियड की अवधि समाप्त होने के बाद आप गर्भवती हो सकती हैं. पीरियड के 6 दिन पहले और 4 दिन बाद की अवधि को गर्भधारण की सबसे आदर्श अवधि माना जाता है.

  4. प्रेग्नेंसी कब से मानी जाती है?

    औसत गर्भावस्था कुल 40 हफ़्तों यानि 280 दिनों की मानी जाती है जिसकी शुरुआत आपके लास्ट पीरियड के पहले दिन से होती है. प्रायः संक्षेप में इसे ”LMP” कहा जाता है.

  5. ड्यू डेट की गणना कैसे की जाती है?

    डॉक्टर आपके आखिरी पीरियड्स के पहले दिन से 280 दिन तक की गणना करके आपकी ड्यू डेट तय करते हैं. यह पूरी अवधि 40 हफ़्तों की होती है. आपकी ड्यू डेट केवल एक अनुमान मात्र होती है.