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नया साल कब है? – Naya Saal Kab Hai?
नववर्ष को एक उत्सव की तरह पूरे विश्व में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि नया साल कब है?
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार पूरे विश्व मे नए साल का उत्सव प्रतिवर्ष 1 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन यह नववर्ष पाश्चात्य संस्कृति एवं पाश्चात्य सभ्यता का सूचक है.
भारतवर्ष में हिन्दू नववर्ष को मनाने का अलग दिन निर्धारित है और यह दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार ही निर्धारित होता है. इस साल हिन्दू नववर्ष नवसंवत्सर 2079, 2 अप्रैल 2022, दिन शनिवार को आरंभ हो रहा है. नववर्ष के साथ ही सभी शुभ मांगलिक कार्य भी आरंभ हो जाते हैं.
हिन्दू नव वर्ष कब मनाया जाता है? – Hindu Nav Varsh Kab Manaya Jata Hai?
सनातन धर्म एवं भारतीय हिन्दू पंचांग के अनुसार, हिन्दू नवर्ष का प्रारंभ चैत्र मास में होता है जिसे नव संवत्सर या विक्रम संवत् भी कहा जाता है. इसका प्रारंभ सम्राट विक्रमादित्य ने किया था. अंग्रेजी कैलेंडर में चैत्र मास को मार्च या अप्रैल का महीना कहा जाता है.
हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानि पहली तारीख़ से होता है. इस साल हिन्दू नववर्ष (Hindu Nav Varsh 2079) का प्रारंभ 02 अप्रैल दिन शनिवार को चैत्र नवरात्रि से हो रहा है.
नवसंवत्सर को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है, जैसे- महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा, पंजाब में बैसाखी, आंध्र प्रदेश में उगादी, केरल में विशु तथा तमिलनाडु में पोंगल के नाम से जाना जाता है.
हिन्दू नव वर्ष कैसे मनाया जाता है? – Hindu Nav Varsh Kaise Manaya Jata Hai?
हिन्दू नववर्ष पर सभी लोग एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं. इस मांगलिक अवसर पर घरों पर भगवा पताका फहराई जाती है और घर के मुख्य द्वार को आम के पत्तों से बनाई गई वंदनवार या तोरण से सजाया जाता है.
घरों एवं मंदिरों की सफ़ाई करके रंगोली व फूलों से सजाया जाता है. कहीं कहीं पर तो कलश यात्रा, विशाल शोभा यात्रा, यज्ञ, हवन एवं माहाआरती का आयोजन भी किया जाता है.
हिन्दू नववर्ष का महत्व क्या है? – Hindu Nav Varsh Ka Mahatv Kya Hai?
हिन्दू धर्म में हिन्दू नववर्ष या हिन्दू कैलेंडर का विशेष महत्व है. आज भी हम अपने व्रत एवं त्यौहार हिन्दू कैलेंडर के आधार पर ही मनाते हैं.
किसी भी शुभ कार्य, पर्व और अनुष्ठान आदि का आयोजन हिन्दू पंचांग देखकर ही किया जाता है.
- चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि पर ही महान गणितज्ञ भास्कराचार्य जी ने सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, माह और वर्ष की गणना करते हुए हिन्दू पंचांग की रचना की थी. इस तिथि से ही नए पंचांग प्रारंभ होते हैं और वर्ष भर के पर्व, उत्सव और अनुष्ठानों के शुभ मुहूर्त निश्चित होते हैं.
- इस दिन का महत्व इसलिए भी अधिक बढ़ जाता है क्योंकि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इसी दिन सूर्योदय से श्रृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी ने श्रृष्टि की रचना का कार्य प्रारंभ किया था.
- इसी दिन सम्राट विक्रमादित्य ने भारत पर अपना राज्य स्थापित किया था अतः, उनकी विजय के फलस्वरूप उन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का प्रारंभ हुआ.
- राक्षसराज रावण का युद्ध में वध करने और अयोध्या वापस लौटने के बाद प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक भी इसी दिन किया गया था.
- महाभारत के युद्ध के पश्चात पांडवों के ज्येष्ठ भ्राता युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी शुभ दिन पर किया गया था.
- शक्ति और भक्ति से परिपूर्ण नौ दिनों का उत्सव चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ भी इसी दिन से होता है.
- फ़सल पकने का प्रारंभ भी इसी समय होता है अतः, किसानों के लिए यह समय बहुत ख़ास होता है.
- इस समय सभी ग्रह और नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं इसलिए किसी भी कार्य के शुभारंभ के लिए यह समय सबसे उत्तम माना जाता है.
सभी पाठकगणों को हिन्दू नववर्ष 2022 एवं भारतीय नवसंवत्सर 2079 की हार्दिक शुभकामनाएं.
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