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डिप्रेशन क्या है?
डिप्रेशन यानि की अवसाद. अवसाद एक ऐसा मानसिक विकार है जो लगातार उदासी के कारण उत्पन्न होता है. जब यह उदासीनता इतनी अधिक बढ़ जाती है कि व्यक्ति भावनात्मक रूप से बिल्कुल असहाय हो जाता है, तब वह अवसाद की स्थिति में पहुंच जाता है.
अतः आपको ये जानना ज़रूरी है कि डिप्रेशन से बाहर कैसे निकलें. यह सिर्फ कुछ ही दिनों की समस्या नहीं है बल्कि एक बहुत लम्बी मानसिक बीमारी है, जिसे ठीक होने में कई बार बहुत लंबा समय लग जाता है.
डिप्रेशन का पक्का इलाज
जिस तरह से हमें अन्य कोई भी शारीरिक बीमारी होने पर उसके इलाज की जरूरत होती है ठीक उसी तरह से डिप्रेशन होने पर इसका भी इलाज कराना ज़रूरी होता है. कई बार तो रोगी यह मानने को तैयार ही नहीं होता कि वह वाकई में, किसी गंभीर मानसिक बीमारी की तरफ बढ़ता जा रहा है.
अतः सबसे पहले तो यह स्वीकार करें कि आप सच में डिप्रेशन के शिकार हो चुके हैं और आपको इसके इलाज की जरूरत है, तभी इसका इलाज संभव है.
वक्त पर इलाज और करीबियों का साथ इस बीमारी से निपटने में अहम् भूमिका निभाता है. डिप्रेशन कोई पागलपन नहीं है, यह एक मेंटल डिसऑर्डर है, जिसका इलाज संभव है.
कोशिश करें कि डिप्रेशन का इलाज बिना दवाई के ही हो जाये, क्योंकि अधिक दवाई लेने से यह इंसान पर हावी होने लगती हैं, मरीज इनका आदि हो जाता है और इनसे ह्रदय संबंधी बीमारी होने का भी खतरा रहता है.
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डॉक्टर्स के अनुसार, डिप्रेशन का इलाज सिर्फ दवाओं से नहीं हो सकता. इससे उबरने के लिए परिवार, दोस्त, और अपनों के साथ की भी ज़रुरत होती है.
डिप्रेशन से निजात पाने के लिए आयुर्वेद, योग, नैचुरोपैथी आदि की मदत लेनी चाहिए. आज मेडिकल साइंस भी ये मानता है कि मेडिटेशन व योग की मदत से बिना किसी दवाई के डिप्रेशन का इलाज संभव हो सकता है.
- डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति को सबसे अधिक, प्यार की ज़रुरत होती है. उसके लिए ज़रूरी है किसी का साथ मिलना, जो उसकी भावनाओं को समझे. आप पीड़ित को जितना अधिक प्यार देंगे, जितना अधिक उसे खुश रखने की कोशिश करेंगे उतनी ही जल्दी उसकी मानसिक स्थिति में सुधार होगा.
- मरीज के मन की बातों को जानना व उसकी भावनाओं को समझना बहुत जरूरी है. उसे अपने दिल की बात खुलकर करने दीजिए. अगर वह किसी को भला-बुरा भी कह रहा है तो भी उस पर गुस्सा ना करें बल्कि उसे प्यार से हैंडल करें.
- कई बार मरीज को बात-बात पर गुस्सा आ जाता है और वह आपसे चिढ़ने लगता है, ऐसे में आप रोगी के व्यवहार से झुंजला कर उसे डांटे या दुतकारें नहीं, सयंम से काम लेकर उसका साथ दें. यह समझने की कोशिश करें कि वह बीमारी में ऐसा कर रहा है.
- डिप्रेशन को ठीक करने में फैमिली वालों का रवैया भी मायने रखता है. अपनी फैमिली के साथ वक्त बिताइए. अपने मन की बात को अपने माता-पिता, अपनी फैमिली को जरूर बताएं, क्योंकि वे आपसे प्यार करते हैं और आपकी परवाह करते हैं, वे आपका साथ जरूर देंगे.
- हर एक इंसान की ज़िंदगी में एक ऐसा दोस्त ज़रूर होता है जो उसे अच्छी तरह से जानता व समझता है. एक सच्चा दोस्त आपके हर सुख-दुःख में आपका साथ देता है और आपको किसी भी परेशानी से बाहर निकालने में आपकी मदत करता है. इसलिए अपने दोस्तों के साथ समय बिताएं. दोस्त के साथ वक्त बिताने से आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और आपके अंदर पोज़िटीविटी आएगी.
- अकेले रहने के दौरान मरीज के मन में नेगेटिव विचार अधिक आते हैं, इसलिए मरीज को कभी भी अकेला ना रहने दें. मरीज को सोशल सर्किल में लेकर जाएं. लोगों से घुलने-मिलने पर उसे अच्छा लगेगा और वह उदासी से बाहर निकलेगा.
- आपके अंदर जो काबिलियत है उसे पहचानिए, अपने टैलेंट को निखारकर खुद को उसमें व्यस्त रखें. अपना शौक पूरा करें, जिसमें भी आपको ख़ुशी मिलती है, जो भी आप करना चाहते हो वो कीजिए. अपनी हॉबी, अपना लक्ष्य पूरा कीजिए और अपने काम पर फोकस कीजिए.
- आपसे बेहतर आपको और कोई नहीं समझ सकता, इसलिए ख़ुद से प्यार करना सीखिए, खुद की कद्र करना सीखिए.
- योग करने से आपकी मनोदशा में सुधार होगा क्योंकि डिप्रेशन से बचने के लिए योग व मेडिटेसन बहुत कारगर होता है. अतः रोज़ाना योग व प्राणायाम कीजिए. इससे आपका मानसिक तनाव दूर होगा और सकारात्मकता आएगी.
- सुबह जल्दी उठकर व्यायाम करें, आसन करें, सुबह-सुबह टहलना शुरू कीजिए.
- घर से बाहर निकलिए, खुद को घर में ही कैद करके ना रखें. ऐसी जगह घूमने जाएं जहाँ आपको मानसिक शांति मिले, जैसे- पहाड़, नदियां, मंदिर. प्रकृति के करीब रहने से आपके मन को बहुत सुकून मिलेगा.
- उदासी को दूर करने के लिए संगीत की मदत लीजिए, उदासी भरे व ग़मगीन गीत ना सुनें, इससे आप और अधिक कमजोर महसूस करेंगे. अच्छा व मधुर संगीत सुनिए.
- मानसिक तनाव से स्वयं को मुक्त रखने के लिए आध्यात्म से सम्बंधित कोई अच्छी किताब या उपन्यास पढ़िए, इससे आपको आंतरिक शान्ति मिलेगी व मन में सकारात्मक विचार आएंगे.
- कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलिए, आपको जो भी करना है, घर से बाहर तो निकलना ही होगा. जीवन में चुनौतियों को स्वीकार करके लड़ना व आगे बढ़ना सीखिए.
- खुद को फिजिकली व मेंटली फिट रखिए, जॉगिंग कीजिए या कोई आउटडोर गेम खेलिए.
- अच्छी नींद लें. अच्छी नींद लेने से आधा तनाव दूर हो जाता है.
- फिजिकली स्ट्रांग बनने से ज्यादा जरूरी है, इमोशनली स्ट्रांग बनिए. अपने मन पर काबू रखना सीखिए. अगर आप मन से मजबूत हैं तो कोई भी दुःख या ताकत आपको कमजोर नहीं कर सकती.
- यदि आपके साथ कुछ बुरा हो भी गया है तो उसका सामना कीजिए. सच्चाई को स्वीकार करना सीखिए ना कि उससे भागना.
- अपनी विल पॉवर यानि की इच्छा शक्ति को मजबूत बनाइए, ये विश्वास रखिए कि आपको ठीक होना ही है और आप ठीक होकर दिखाएंगे.
- अपने बाह्य रूप पर भी ध्यान दीजिए, क्योंकि जब आप बिल्कुल बन ठन के बाहर निकलते है तो आपके अंदर एक अलग ही कॉन्फिडेंस आता है. इसलिए खुद को सवांरिये, खुद की कद्र कीजिए.
- कई बार डिप्रेशन की वजह से पीड़ित व्यक्ति अग्रेसिव हो जाता है और उसके मन में बदला लेने का ख़याल आता है, ऐसे में मरीज के करीबी का ये फ़र्ज़ बनता है कि उसे समझाएं की बदला लेना किसी भी समस्या का समाधान नहीं है.
- भावनात्मक रूप से कमजोर लोग बहुत जल्द ही किसी की भी बातों में आ जाते हैं और जब उनका विश्वास टूटता है तो वो खुद को संभाल नही पाते और डिप्रेशन में चले जाते हैं, इसलिए आज के जमाने में किसी भी अंजान व्यक्ति पर आँख बंद करके भरोसा ना करें. क्योंकि यह अंधविश्वास आपको हमेंशा के लिए अंधेरों में ढकेल सकता है.
- दुबारा से जीने की इच्छा शक्ति पैदा करें और जिंदगी में चुनौतियों का सामना मजबूती से करना सीखिए.
- वक्त सबसे बड़ा गुरु होता है और वक़्त ही सबसे बड़ा मरहम भी है. बुरा वक़्त भी इंसान को कुछ ना कुछ सिखाकर जाता है, इस वक्त आपको अपनी भावनाओं पर कंट्रोल करना, दोस्तों की पहचान, अपने व पराये की पहचान जैसी कई सीख मिलती है.
- अपने मन की हर छोटी से छोटी बात, अपने हर सुख-दुःख को अपनी फैमिली के साथ शेयर कीजिए, इससे दूसरों को भी आपको समझने में मदत मिलेगी और आप भी अकेला महसूस नहीं करेंगे.
दवाई से डिप्रेशन का इलाज
व्यक्ति के शरीर में जैव रासायनिक असंतुलन के कारण भी कई बार अवसाद घर कर जाता है और इसकी अधिकता के कारण ही रोगी आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता है.
इसलिए परिजनों को हर वक़्त सजग रहना चाहिए कि यदि उनके परिवार का कोई सदस्य गुमसुम, खोया-खोया या फ़िर हर वक़्त अकेला रहता है और हर समय निराशावादी बातें करता है तो तुरंत उसे किसी अच्छे मनोचिकित्सक के पास लेकर जाएं.
- अगर कई कोशिशों के बाद भी मरीज के मानसिक स्वाथ्य में कोई सुधार नहीं हो रहा है तो आपको एक्सपर्ट्स की मदत लेनी चाहिए.
- डिप्रेशन के इलाज के लिए मरीज को डॉक्टर या काउंसलर से मिलाएं.
- मरीज की सहायता के लिए काउंसलर, साइकोलोजिस्ट और साइकायट्रिस्ट की मदत ली जाती है.
- डिप्रेशन के इलाज के लिए मरीज को एंटी डिप्रेसेंट दी जाती हैं.
डिप्रेशन में क्या खाना चाहिए
डिप्रेशन से बचाव के लिए मरीज को अच्छा व पौष्टिक आहार लेना चाहिए. यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित हो चुका है कि कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे होते हैं जिन्हें खाने से हमारा मन अच्छा महसूस करता है. कहते हैं ना कि, जैसा खाये तन, वैसा होए मन.
अर्थात् जैसा खाना आप खाएंगे, वैसे ही विचार आपके मन में आएंगे. विटामिन और मिनरल्स से भरपूर खानपान की कुछ चीज़े दिमाग को संतुलित रखती हैं, जिससे हमारा नर्वस सिस्टम सही से संचालित होता है.
इसलिए अपने आहार में पौष्टिक तत्वों को शामिल करना बहुत जरूरी है. तो आइए जानते हैं कि डिप्रेशन में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए.
- अपने खाने में ओमेगा 3 फैटी ऐसिड व फौलिक ऐसिड वाली चीज़ों को शामिल करें, जैसे- नट्स, अलसी के बीज, सोयाबीन आदि
- प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार लें, जैसे-ओट्स, अनाज, अंडा, दूध, दही, हरी सब्जियां व मौसमी फल व जूस
- एंटी-ओक्सिडेंट व विटामिन C वाली चीज़ें खाएं, जैसे- संतरा, ब्रोकली, किशमिश, पालक, सीताफल, ताजे फ़ल आदि.
डिप्रेशन में क्या ना खाएं
- कैफ़ीन की ज्यादा मात्रा से तनाव में वृद्धि होती है इसलिए कैफ़ीन, निकोटीन व शराब से बिल्कुल दूर रहें.
- फास्टफूड व ट्रांस फैट वाली चीज़ें बिल्कुल भी ना खाएं.
- बहुत अधिक मात्रा में मांसाहार का सेवन ना करें.