ग्राइप वाटर छोटे बच्चों की कई सारी परेशानियों का एक बेहतर विकल्प है. यह एक ऐसा आयुर्वेदिक उपचार है जो आपके बच्चे के लिए फायदेमंद माना जाता है. आज के इस लेख में हम आपको डाबर ग्राइप वाटर के फायदे बताने जा रहे हैं.
आजकल बाज़ार में तथा ऑनलाइन भी कई तरह के ब्रांड्स और कंपनियों के ग्राइप वाटर आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं. जैसे:- डाबर(Dabur), वुडवर्ड्स(Woodward’s) या मदर स्पर्श(Mother Sparsh) आदि. इनमें से डाबर(Dabur) कंपनी का ग्राइप वाटर आपके शिशु के लिए सबसे फायदेमंद है. तो आइए जानते हैं कि डाबर ग्राइप वाटर के फायदे क्या-क्या हैं.
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डाबर ग्राइप वाटर क्या है? – Dabur Gripe Water Kya Hai?
डाबर ग्राइप वाटर (Dabur Gripe Water) डाबर फार्मा लिमिटेड का एक प्रोडक्ट यानि उत्पाद है जो कुछ जड़ी-बूटियों से मिलकर बना हुआ है. डाबर ग्राइप वाटर बच्चों में होने वाले कॉलिक पेन (पेट दर्द), अपच, कब्ज और हिचकी जैसी पेट की समस्याओं के उपचार के लिए काम आने वाला आयुर्वेदिक उपचार है. यह लिक्विड फॉर्म में आता है.
डाबर ग्राइप वाटर में उपयुक्त सामग्री – Dabur Gripe Water Ki Saamgri
- दिल बीज का तेल
- मिश्रिया तेल
- सर्जिकक्षा
- सोडियम बाइकार्बोनेट
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- ग्राइप वाटर क्या है? – बच्चों को ग्राइप वाटर कब देना चाहिए?
- ग्राइप वाटर के फायदे क्या हैं?
- बच्चों के दांत निकलते समय क्या करना चाहिए?
डाबर ग्राइप वाटर के फायदे क्या हैं? – Dabur Gripe Water Ke Fayde Kya Hain?
गैस की परेशानी में आराम दे
नवजात शिशुओं में गैस की समस्या होना आम बात है. कई बार दूध पीने से या फिर ज्यादा रोने की वजह से भी बच्चे को बार-बार गैस बनती है. इस समस्या से बच्चे को आराम देने के लिए डाबर ग्राइप वाटर पिलाना फायदेमंद होता है.
दांत निकलते समय फायदेमंद
जिस वक़्त बच्चे के दांत निकलने शुरू होते हैं उस वक़्त बच्चा दस्त और मसूढ़ों के दर्द से काफ़ी परेशान रहता है. ऐसे में बच्चे को डाबर ग्राइप वाटर देने से उन्हें मसूढ़ों के दर्द से आराम मिलता है और दस्त से भी छुटकारा मिलता है.
डिहाइड्रेशन से बचाव करे
जन्म से लेकर छै महीने तक शिशु केवल मां के दूध पर निर्भर रहता है. लेकिन इसके बाद जब बहुत अधिक गर्मी होने से बच्चे का गला सूखने लगता है. ऐसे में बच्चे को ग्राइप वाटर पिलाने से उसके शरीर में पानी की कमी नहीं होती है.
हिचकी की समस्या दूर करे
ऐसा कहा जाता है कि जब शिशु के पेट का आकार बढ़ने लगता है तब उसे हिचकियां आनी शुरू होती है जो कि बार-बार आती ही रहती हैं. इन हिचकियों से आराम दिलाने के लिए बच्चे को ग्राइप वाटर पिलाया जाता है.
ग्राइप वाटर देते समय सावधानियां
- कुछ कंपनियां ग्राइप वाटर में भरपूर चीनी की मात्रा, चारकोल और एल्कोहल का इस्तेमाल करती हैं जिससे शिशु के दांतों और शरीर पर बुरा असर पड़ता है. ध्यान रहे आपको ऐसा एल्कोहल युक्त ग्राइप वाटर बच्चे को नहीं देना है. ग्राइप वाटर खरीदते वक़्त उसकी सामग्री को ज़रूर चेक कर लें.
- कुछ कंपनियां ये दावा करती हैं कि उनके द्वारा तैयार किया गया ग्राइप वाटर आप बच्चे को छै माह से पहले भी दे सकते हैं लेकिन, जब तक आपका शिशु छै माह का पूरा नहीं हो जाता तब तक उसे सिवाय मां के दूध के और कुछ भी ना दें. मां का दूध ही शिशु के लिए संपूर्ण आहार और औषधि का काम करता है. इसलिए छै महीने बाद ही अपने बच्चे को ग्राइप वाटर पिलाना शुरू करें.
- बच्चे को इसकी कितनी ख़ुराक देनी है इस बात का भी विशेष ध्यान रखें.
- ग्राइप वाटर की तासीर ठंडी होती है अतः, यदि आपके बच्चे को सर्दी, खांसी या जुखाम है तो उस वक़्त बच्चे को ग्राइप वाटर पिलाना बंद कर दीजिए.
- यदि आपको अपने शिशु को ग्राइप वाटर देने से संबंधित कोई संशय है तो एक बार डॉक्टर से परामर्श ज़रूर लें. डॉक्टर से अच्छी तरह से पूरी जानकारी और परामर्श लेकर यदि आप बच्चे को ग्राइप वाटर पिलाती हैं तो इसमें कोई नुक्सान नहीं है.