प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई सारे बदलाव होते हैं. जिनमें से कुछ बदलाव शारीरिक होते हैं और कुछ मानसिक. पहली बार मां बनने वाली महिलाओं के शरीर में होने वाले बदलाव उन्हें रोमांचित कर सकते हैं. डिलीवरी होने के बाद महिला का परिचय कोलोस्ट्रम से होता है. आज इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कोलोस्ट्रम क्या है और कोलोस्ट्रम के फायदे क्या हैं.
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कोलोस्ट्रम क्या है?
कोलोस्ट्रम वह पहला दूध होता है जो प्रेगनेंट महिला के शरीर में प्रेगनेंसी के दौरान बनता है. प्रेगनेंसी का दूसरा ट्राईमेस्टर शुरू होते ही महिला की ब्रेस्ट में दूध बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. ब्रेस्ट में दूध बनने की इस प्रक्रिया के दौरान जो तरल पदार्थ बनता है उसी को कोलोस्ट्रम यानि मां का पहला दूध कहा जाता है. जन्म के बाद नवजात शिशु को पिलाया जाने वाला पहला दूध ही कोलोस्ट्रम होता है.
नवजात शिशु के लिए इसके फायदों को देखते हुए इसे ‘तरल सोना’ या ‘लिक्विड गोल्ड’ भी कहा जाता है. नवजात शिशु के लिए कोलोस्ट्रम किसी वरदान से कम नहीं होता है. कोलोस्ट्रम सफेद, सुनहरा पीला या नारंगी रंगत वाला गाढ़ा, क्रीमी व चिपचिपा होता है. कोलोस्ट्रम में बीटा-कैरोटीन की उच्च मात्रा के कारण ही इसका रंग गहरा पीला होता है. कोलोस्ट्रम आपके नवजात शिशु के लिए सबसे उत्तम शुरुआती आहार होता है.
कुछ महिलाओं में दूसरे ट्राईमेस्टर के दौरान ही कोलोस्ट्रम का रिसाव होने लगता है और प्रेगनेंसी के आख़िरी चरण तक कोलोस्ट्रम का रिसाव बढ़ता जाता है. प्रेगनेंसी के आख़िरी तिमाही में महिलाएं इस तरल के रिसाव को अनुभव कर सकती हैं. यह कोलोस्ट्रम तीसरी तिमाही के साथ ही डिलीवरी के तुरंत बाद भी स्रावित होता है.
कोलोस्ट्रम की मात्रा कितनी होती है?
कोलोस्ट्रम की मात्रा बेहद कम होती है लेकिन फिर भी यह नवजात शिशु के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. शिशु के जन्म के बाद महिला के शरीर में दो से तीन दिन के अंदर करीब 50 मिली. कोलोस्ट्रम बनता है लेकिन यह मात्रा आपके नवजात शिशु की जरूरत को पूरा करने के लिए काफ़ी होती है, क्योंकि जन्म के समय शिशु के पेट का आकार बेहद ही छोटा होता है और इसे पचाना शिशु के लिए एकदम आसान होता है. कोलोस्ट्रम की कुछ बूँदें भी शिशु की भूख मिटाने में सक्षम होती हैं.
डिलीवरी के बाद कब तक आता है कोलोस्ट्रम?
डिलीवरी के बाद अधिकतम तीन से चार या पांच दिनों तक ही मां की ब्रेस्ट से कोलोस्ट्रम आता है. पांचवें दिन के बाद इसका आना स्वतः ही बंद हो जाता है. इसके बाद यह सफ़ेद पतले दूध में बदल जाता है और शिशु की ज़रुरत के अनुसार धीरे-धीरे दूध की मात्रा बढ़ने लगती है. कोलोस्ट्रम आना जैसे ही बंद होता है वैसे ही महिला के स्तनों से ब्रेस्ट मिल्क आना शुरू हो जाता है.
कोलोस्ट्रम के फायदे – Benefits of Colostrum
कोलोस्ट्रम एक विशेष दूध होता है जो कि नवजात शिशु की सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. आइए अब जानते हैं कि कोलोस्ट्रम के फायदे क्या-क्या हैं.
- जन्म के बाद पहली बार नवजात शिशु कोलोस्ट्रम ही पीता है. जिससे शिशु को कई सारे पोषक तत्व मिलते हैं.
- कोलोस्ट्रम लैक्सेटिव होता है इसलिए यह शिशु को पहली बार मल त्याग करने में मदद करता है.
- कोलोस्ट्रम का सेवन शिशु को पीलिया, अल्जाइमर, डायरिया आदि बीमारियों से बचाता है.
- यह पोषक तत्वों और एंटीबॉडीज़ से भरपूर होता है, जो आपके नवजात शिशु को पोषण देता है और नैचुरल तरीके से उसकी इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है.
- यह शिशु को अनेक प्रकार के संक्रमणों तथा बैक्टीरिया से बचाता है.
- कोलोस्ट्रम में कोलोस्ट्रोल की मात्रा बहुत अधिक पाई जाती है इसलिए यह बच्चे के तत्रिका तंत्र के विकास में मदद करता है.
- इसमें ज़िंक, कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन, वसा तथा लवण आदि पाये जाते हैं जो कि शिशु के संपूर्ण विकास में सहायक हैं.
- कोलोस्ट्रम पीने से बच्चे का पाचन तंत्र सही रहता है और उसे पेट से संबंधित समस्या नहीं होती है.