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भारतीय थल सेना का लक्ष्य
दुनिया में हर कोई किसी न किसी लक्ष्य के लिए जीता है, उसी तरह हमारी भारतीय सेना जीती है सिर्फ अपने देश के लिए. भारतीय सेना का बस एक ही लक्ष्य है दुश्मनों से अपने देश व देशवासियों की रक्षा करना. थल सेना दिवस उन वीर जवानों को समर्पित होता है जो भारतीय थल सेना का हिस्सा हैं अथवा कभी इसका हिस्सा रह चुके हों.
भारतीय थल सेना न केवल सीमा पर प्रहरी बनकर हमारी रक्षा करती है बल्कि आंतरिक समस्याओं में भी हमारी सहायता के लिए सदैव तत्पर रहती है. चाहे वो किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटना हो, आतंकियों से लड़ना हो या तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा करनी हो, हर जगह अपना फ़र्ज़ पूरा करने में भारतीय जवान सबसे आगे रहते हैं.
किसी भी देश की रक्षक होती है उसकी अपनी सेना और उस देश का असली नायक होता है उस देश का सैनिक, उस देश का सिपाही. वो सिपाही जो अपनी मातृभूमि की रक्षा करने के लिए अपनी जान की भी परवाह नहीं करता. वो सिपाही जो हर कदम पर अपने देशवासियों की रक्षा के लिए लड़ता है, कभी सीमा पर खड़े दुश्मनों से तो, कभी कुदरत के रौद्र रूप से तो कभी जिंदगी के कठोर हालातों से. हमारे कल को सुरक्षित रखने के लिए भारतीय सेना के जवान अपने आज को खतरे में डालने से भी नहीं कतराते.
थल सेना दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
भारतीय थल सेना दिवस थल सेना की वीरता, अदम्य साहस, शौर्य और कुर्बानी की दास्तां को बयां करते हुए हर वर्ष 15 जनवरी को संपूर्ण देश में पूरे उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है. थल सेना दिवस भारत के पहले लेफ्टिनेंट जनरल के.एम. करियप्पा को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है क्योंकि आज ही के दिन 15 जनवरी, 1949 को ब्रिटश काल में इन्होंने भारतीय थल सेना के शीर्ष कमांडर का पदभार ग्रहण किया था.
इस दिन फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख बने थे. तभी से प्रत्येक वर्ष आज का दिन थल सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष 15 जनवरी 2022 को भारत का 74वां थल सेना दिवस मनाया जा रहा है.
थल सेना दिवस कैसे मनाया जाता है?
15 जनवरी भारतवर्ष के गौरव को बढ़ाने और देश की सीमा की सुरक्षा करने वाले वीर जवानों के सम्मान का दिन होता है. इस शुभ अवसर पर वीर सैनिकों को पदक और वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है.
थल सेना दिवस के अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री और भारत के राष्ट्रपति, तीनों सेनाओं के प्रमुख और अधिकारियों के साथ राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के अमर ज्योति पर एकत्र होकर भारतीय सेना की वीरता और अदम्य साहस के लिए नमन करते हैं और उन सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने हमारी जान बचने के लिए अपनी जान गवां दी.
इस शुभ अवसर पर नई दिल्ली समेत देश के विभिन्न सेना मुख्यालयों पर कई सारे सैन्य कार्यक्रमों एवं सैन्य परेड का आयोजन किया जाता है. आज के दिन उन सभी वीर सेनानियों को सलामी दी जाती है जिन्होंने कभी न कभी अपने देशवाशियों की सलामती के लिए अपना सर्वोच्च न्योछावर कर दिया. देश के विभिन्न स्कूलों तथा केंद्रीय विद्यालयों में कई प्रकार के उत्साहवर्धक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. विभिन्न संस्थान सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए कई प्रकार की रेलियों का आयोजन करते हैं.
इस दौरान सर्व धर्म एकता का संदेश देते हुए कुछ संस्थाओं के द्वारा गरीब और वंचित बच्चों में कंबल व गर्म कपड़ों का वितरण भी किया जाता है.
भारतीय सेना हमारी रक्षक
आज हमारी भारतीय थल सेना अपना 74वां स्थापना दिवस मना रही है. यूं तो हमें हर दिन अपनी सेना का धन्यवाद करना चाहिए क्योंकि, आज अगर हम स्वतंत्रता का आनंद ले रहे हैं तो ये सिर्फ हमारी भारतीय सेना की वजह से ही संभव है. लेकिन आज के विशेष दिन पर हमें सेना के प्रति अपना प्यार व सम्मान देने का ख़ास अवसर मिलता है.
हमें अपनी सुरक्षा के लिए भारतीय सेना पर गर्वित और भाग्यशाली महसूस करना चाहिए जिसकी बदौलत, हम सब लोग अपने-अपने घरों में अपने परिवार के साथ बैठे हुए बड़े ही आराम से अपना जीवन गुजारते हैं, बिना डरे हुए समाज में चल पाते हैं, क्योंकि हमारी भारतीय सेना के वीर जवान हमारे लिए सुरक्षा कवच बनकर दिन-रात अपने कर्तव्य पथ पर डटे रहते हैं.
सभी पाठकगणों को भारतीय थल सेना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
जय हिंद, जय भारत.
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