मेरी ही परछाई है तू, मेरे लहू का कतरा है
मेरी आंखों का तारा है तू, तुझसे जीवन ये संवरा है
मेरे आंगन की तू, नन्हीं सी प्यारी चिरैया है,
तुझे देखकर जीती है जो, तेरी पगली मैया है,
तेरे ही नन्हें हाथों में सिमटा है मेरा संसार,
आंखें तेरी नम न हो कभी, सबसे मिले तुझे इतना प्यार.
नन्हीं सी उंगलियों से जब थामा था तूने मेरा हाथ,
वो पल कैद हुआ आंखों में, बनकर एक मीठी सी याद
महक उठा था घर-आंगन, महक उठा था ये संसार
पहला कदम चली थी जीवन में, जब तू लाडो पहली बार,
दिल के आंगन में जैसे, गूंज उठी थी एक नई झंकार
कानों में घोली थी मिश्री, जब सुनी थी तेरी पहली पुकार
प्यारी सी जबाँ में जब तूने ‘मां’ पुकारा था,
तेरी उस मधुर बोली ने, किया था जैसे…, एक स्वप्न साकार.
मां का आँचल पकड़े तू, मां के पीछे छिप जाती है,
मां की उंगली थामे तू, नन्हें कदम बढ़ाती है
मुझको गले लगाकर जब तू, सीने से लग जाती है
मेरे सारे ग़मों की बदली ही जैसे छंट जाती है
मेरे इस जीवन का तू, सबसे ज़रूरी हिस्सा है,
कभी ख़तम ना होगा जो, तू वो अनमोल क़िस्सा है.
सौभाग्य से मिली है मुझको, देवी मां का आशीष है तू
रब की नेमत कहूं तुझे या ख़ुदा की बक्छीश है तू
पापा का गुमान है तू, मां के सिर का ताज है तू,
तुझ बिन मेरा घर सूना है, मेरे घर की लाज है तू.
तेरा बचपन देखके मैं भी, बचपन अपना जी लेती हूँ,
भूले, बिसरे, उधड़े सपनों को फिर से मैं सी लेती हूँ.
तुझ बिन अधूरा लगे ये जीवन, तुझ बिन मैं अधूरी हूँ,
तुझसे ही ज़िंदा हूँ अब तो, तुझसे ही मैं पूरी हूँ.
मन की गली में महकने वाली जूहीं की कली है तू,
जीवन में मिठास भरने वाली मिश्री की डली है तू
किसी जादुई परी का रूप है तू, या कड़कती सर्दी की मीठी सी धूप है तू
मेरी हर उदासी की दवा है तू, या गर्म रेगिस्तान में बहती शीतल हवा है तू
घर-आँगन को रौशन करता उजाला है तू, पापा के गुस्से पर लगा ताला है तू
भाई की भोली-भाली गुड़िया है तू, दादी-नानी की फ़ुदकती सी चिड़िया है तू
उगते सूरज की पहली किरण है तू, या रंग-बिरंगे फूलों पर मंडराती सुनहरी तितली है तू
किसी ग़ज़ल को मुकम्मल कर दे जो वो काफ़िया है तू,
अधूरी वर्णमाला को पूरा कर दे जो वो आख़र है तू
मेरे आँगन की तुलसी है तू, पूजा की कलसी है तू
मेरी छोटी सी बगिया की फुलवारी का सबसे सुंदर फूल है तू
नाज़ुक सा है दिल तेरा और चंचल तेरी आँखें हैं,
मासूमियत की मूरत है तू, तोतली जबान में जब चहचहाती है
देखके तुझको जीवन में जैसे एक नई उमंग भर जाती है.
पाजेब पहनकर नन्हें पैरों पर, ठुमक-ठुमक जब चलती है,
घर के कोने-कोने में एक मधुर ध्वनि सी बजती है
इंद्रधनुष के रंगों जैसी, सुर की सुंदरता बढ़ाने वाली साज़ है तू,
नील गगन में उड़ने वाले, नादान परिंदे की परवाज़ है तू
अपने पंख फैलाकर तुझको दूर गगन में उड़ना है
जीवन की इस कठिन डगर पर तुझको बड़ा…., संभलकर चलना है,
कोई तोड़ सके ना तुझको, तुझे इतना सशक्त अभी बनना है,
जीवन के अलग-अलग रंगों में, तुझको अभी ढलना है
ख़ुद के सपनों को ज़िंदा रखकर, तुझको बस आगे बढ़ना है
हार न मानेगी कभी तू, ख़ुद से ये वादा करना है.
मन बेकल हो जाता मेरा, अँखियां भर आती हैं
सदियों से चली आ रही ज़माने की जब रीत याद आती है,
दुनिया का ये दस्तूर तू भी तो एक दिन निभाएगी
अपनी मां का अंगना छोड़ तू भी एक दिन, दूसरे आँगन उड़ जाएगी
मगर ब्याहकर भी इस आँगन की मिट्टी से जुदा न तू हो पाएगी,
मेरे आँगन की चिड़िया है तू, अपने घोंसले में फिर से तू वापस आएगी
रब से यही अरदास है मेरी, हर जनम में तेरा-मेरा नाता रहे,
तू फिर से बनाए घोंसला मेरे आँगन में और….,
मेरा आँगन हर जनम में तुझे अपने पास बुलाता रहे.
जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
जुग-जुग जियो मेरी लाडो.
तुम्हारी ‘माँ’