गणेश चतुर्थी कब है? – Ganesh Chaturthi Kab Hai

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गणेश चतुर्थी कब है – Ganesh Chaturthi Kab Hai

हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार ‘गणेश चतुर्थी’ भारत के कई हिस्सों जैसे: महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश तथा कर्नाटक आदि में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र में ‘गणेश उत्सव’ की विशेष धूम रहती है और इस त्यौहार की रौनक देखने के लिए देश-विदेश से भी यहाँ पर भारी संख्या में लोग पहुँचते हैं. गणेश जी का एक नाम ‘विनायक’ होने के कारण इस पर्व को ‘विनायक चतुर्थी’ के नाम से भी जाना जाता है.

गणेश चतुर्थी कब मनाई जाती है

10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव का प्रारम्भ भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी के दिन समापन होता है.

देवों के आराध्य एवं सर्वप्रथम पूजे जाने वाले भगवान श्री गणेश जी की पूजा करने का यह उत्सव इस साल 10 सितम्बर 2021 को मनाया जाएगा और इसका समापन 21 सितम्बर 2021 को किया जाएगा.

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गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है

पुराणों के अनुसार, भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को ही भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था. इसलिए इसी दिन गणेश चतुर्थी का महापर्व मनाया जाता है.

‘शिवपुराण’ के अनुसार, माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से एक पुतला बनाकर उसमें प्राण डाल दिए थे और इसी जीवात्मा को अपना पुत्र मानकर गणेश नाम दिया था. इसके बाद माता पार्वती स्नान करने चली गई और अपने पुत्र को यह आज्ञा दी कि वह किसी को भी अन्दर प्रवेश न करने दें.

संयोगवश उसी समय भगवान शिवजी का वहां पर आगमन हुआ. उन्हें अंदर आता देखकर गणेशजी ने उन्हें बाहर ही रोकने का प्रयास किया. शिवजी ने बालक गणेश को बहुत समझाया किंतु माता के आदेश से बंधे हुए गणेश ने शिवजी की एक न सुनी और उन्हें बार-बार अंदर जाने से रोकते रहे.

यह देखकर भगवान शिव को बहुत क्रोध आया और उन्होंने अपने त्रिशूल से बाल गणेश का सिर काट दिया. स्नान से लौटने के बाद माता पार्वती जी ने जब अपने पुत्र गणेश का सिर कटा हुआ देखा तो वह अत्यंत दुखी हुई और शिवजी से नाराज़ भी हुईं.

देवी पार्वती की नाराज़गी दूर करने के लिए शिवजी ने गणेशजी के सिर पर हाथी का मस्तक लगा दिया और और उन्हें पुनर्जीवित किया.

ऐसी भी मान्यता है कि दुष्ट असुरों का वध करने के लिए देवताओं के द्वारा अनुरोध करने पर ही शिवजी और पार्वती ने मिलकर गणेश को बनाया था.

गणेश चतुर्थी कैसे मनाई जाती है

गणेश चतुर्थी पर भगवान श्री गणेश जी की पूजा की जाती है. इस दिन गणेश जी की प्रतिमा को विधिवत पूजा-पाठ के साथ घर में स्थापित किया जाता है.

10 दिन तक श्री गणेश जी का पूजन करते समय उन्हें दूब घास, गन्ना और बूंदी के लड्डू का भोग लगाया जाता है.

10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी के दिन पूरे गाजे-बाजे व धूमधाम के साथ ‘गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया’ इस उद्घोष के साथ गणेश जी की प्रतिमा को किसी नदी या तालाब के जल में विसर्जित कर दिया जाता है और भगवान श्री गणेश से सब कुछ मंगलमय करने की कामना की जाती है और साथ ही उन्हें अगले वर्ष फिर से अपने घर में आने के लिए आमंत्रित भी किया जाता है.

गणेश चतुर्थी का महत्त्व

सनातन संकृति में गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन उनका जन्मदिवस आता है जिनके पूजन से सारे विघ्न दूर हो जाते हैं और सभी कार्य सुफ़ल सिद्ध होते हैं.

अतः किसी भी कार्य के शुभारम्भ से पहले भगवान श्री गणेश जी के इस मंत्र का उच्चारण अवश्य किया जाता है:

”वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा”॥

भावार्थ:

घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर काय, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली।
मेरे प्रभु, हमेंशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरा करने की कृपा करें॥

भगवान शंकर और माता पार्वती के पुत्र गणेश जी के 108 नाम हैं जैसे: लम्बोदर, विघ्नहर्ता, विनायक, गजानन, एकदन्त, गणपति, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गौरीसुत, लम्बकर्ण, मंगलमूर्ति, सिद्धिविनायक, वक्रतुण्ड, चतुर्भुजः, बुद्धिनाथ, गजवक्र, शूपकर्ण, प्रथमेश्वर इत्यादि.

गणेश जी बुद्धि, समृद्धि व सौभाग्य के देवता तथा सभी संकटों को हरने वाले और सभी बाधाओं को दूर करने वाले देवता माने जाते हैं. इसीलिये इन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है.

ऐसा कहा जाता है कि भगवान गणेश जी ने बाल्यकाल में ही अपने माता-पिता की परिक्रमा करके अपनी तीव्र बुद्धि का प्रमाण सबको दे दिया था और सम्पूर्ण जगत को यह ज्ञान दिया था कि हमारे माता-पिता ही हमारा सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड होते हैं. पूरी श्रृष्टि में माता-पिता से बढ़कर और कुछ भी नहीं होता.

बाल गणेश की ऐसी चतुराई और बुद्धि देखकर सभी देवगण भी चकित रह गए थे और तभी से गणेश जी पूजा सर्वप्रथम किए जाने का निर्णय लिया गया. इसीलिए देवताओं में श्री गणेश जी की पूजा सबसे पहले की जाती है, तभी अन्य पूजा भी सफ़ल मानी जाती है.

अतः बुद्धि प्राप्त करने के लिए नित्य श्री गणेश जी की आराधना करनी चाहिए. हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य का शुभारम्भ श्री गणेश पूजन एवं गणेश वंदना के साथ ही किया जाता है तभी वह कार्य निर्विघ्न सम्पन्न होता है.

सभी पाठकों को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं.